प्राथमिकता, प्रयास और सफलता, इन पर सब कुछ निर्भर
यह कोई नई बात नहीं की जा रही है बल्कि इस पर बात की जा चुकी है फिर क्या वजह है आज इस पुराने मुद्दे पर लिखने की, आवश्यकता महसूस की गई। वज़ह है, मनोविज्ञान में कहा जाता है कि जब हम किसी भी चीज व आदत को,...
View Articleडिस्ट्रैक्ट करने के अलावा भी बहुत कुछ करती है ब्रा
लेखक: नूतन यादव हाल ही में दिल्ली के एक निजी स्कूल ने छात्राओं को स्किन कलर की ब्रा पहनने का निर्देश दिया है ताकि लड़के ‘डिस्ट्रैक्ट’ न हों। जिस भारतीय समाज में ब्रा को अन्य कपड़ों के नीचे सुखाए जाने की...
View Articleमनुष्यता कुछ करने की अनिवार्यता आप पर नहीं थोपती
‘आप लोग न्यूज का काम देखते हैं ना? एक लड़का खो गया है, बहुत परेशान हैं घर वाले। पुलिस कुछ ध्यान नहीं दे रही है। हमें समझ नहीं आ रहा कि क्या करें, कहां जाएं। क्या आप लोग कुछ मदद कर सकते हैं?’वह हमें...
View Articleशांतता, ‘अनुशासन पर्व-2’ का शूटिंग चलताए!
लेखक: दीपक पाचपोर जास्ती कल्ला नईं करने का! तुम पूछेंगा कि अपुन शांत बईठने कूं काएकूं कहताए। समझ लेने का कि तुम देखताए ना कि अक्खा मुलुक का भीतर कित्ता सीरियस काम चलताए। कोई का पास मरने का बी बखत नईं।...
View Articleकहां जा रहे हैं आज की पीढ़ी के बच्चे?
बच्चे हत्यारे बन रहे हैं। पिछले दिनों दिल्ली के किशनगढ़ में एक लड़के ने अपने मां-बाप और बहन की हत्या सिर्फ इसलिए कर दी कि वे उसके निजी जीवन में दखल देते थे। हत्या के पीछे एक वजह यह भी थी कि पैरंट्स पढ़ाई...
View Articleजारी है, जारी रहेगा लोकतंत्र का चकल्लस, बनते रहेंगे बेवकूफ
लेखक: शैलेंद्र कुमार भाटिया इस साल हिंदी के कालजयी उपन्यास ‘राग दरबारी’ के प्रकाशन के 50 वर्ष पूरे हो गए हैं। जब पहली बार ‘राग दरबारी’पढ़ा तो लगा कि कोई इतना सटीक कैसे लिख सकता है! ऐसा लगा कि गांव की...
View Articleरेपिस्ट का घर-परिवार, लड़ते बच्चे और परतें उधेड़ता समाज
सामूहिक बलात्कार के एक मामले में जांच को गई हमारी टीम में दो महिलाएं और तीन पुरुष थे। समय और संसाधनों की बचत के लिए टीम को दो हिस्से में बांट देने का फैसला हुआ। दोनों महिलाएं और एक पुरुष पीड़ित पक्ष से...
View Articleसोसायटी में नहीं दिखता समाज
लेखक: रवि पाराशर पत्नी ने सुबह-सुबह तीसरी मंजिल की बालकनी से नीचे झांक कर देखा और झल्लाई हुई लौटीं। बेटी की स्कूटी किसी ने घसीट कर सामने वाले ब्लॉक के नीचे टिका दी थी। बड़बड़ाना शुरू- अजीब लोग हैं,...
View Articleआदर्श या उप आदर्श
एक बार आदर्श को लेकर बात हो रही थी कि किसका कौन आदर्श है। मेरे एक मित्र ने कहा कि वैसे तो मेरे आदर्श महात्मा गांधी हैं, लेकिन उप आदर्श मेरी कंपनी के मालिक हैं। मैंने पूछा, यह उप आदर्श क्या बला है?...
View Articleवक्त की यह कैसी मार
लेखक: रौशन कुमार झा मैं करीब 8 साल का रहा होऊंगा, तभी पापा मुझे और मेरे बड़े भाई को लेकर गांव से दूर शहर आ गए थे। हम पापा के साथ जहां रहने आए वह एक लॉज था जिसमें केवल बैचलर लोग रहते थे। उसके अगल-बगल...
View Articleकुछ तो लोग कहेंगे, लोगों का काम है कहना
अक्षय शुक्ला बड़े दिनों बाद दो पुराने मित्रों से बात हुई। पता चला कि दोनों एक जैसी उलझन से घिरे हुए हैं। उनके बच्चे परिवार की उम्मीदों के विपरीत अपने भविष्य की एक अलग राह तय करना चाहते हैं, जिससे घर...
View Articleएक लॉलीपॉप और पालू के पापा का पर्स
पालू और थार का किस्सा अभी खत्म नहीं हुआ। पिछले ब्लॉग के लिए जब थार की फोटो इंटरनेट से डाउनलोड कर रहे थे तब भी हमारे छुटकू यही कह रहे थे…पापा थार ऑर्डर कर रहे हो क्या? खैर…थार की प्यार भरी धार से आगे...
View Articleतब नए साल का जश्न मनाने का एकमात्र सहारा था दूरदर्शन
अक्षय शुक्ला नए साल का जश्न मनाने कोई पहाड़ों का रुख कर चुका है तो कोई दोस्तों संग किसी होटल या क्लब में पार्टी का प्लान बना रहा है। कुछ लोग दिल्ली की इस सर्द बर्फीली रात में घर पर ही रज़ाई में घुसकर...
View Articleकहां जा रहे हैं आप, कनॉट प्लेस या राजीव चौक
अक्षय शुक्ला ब्लू लाइन मेट्रो से ऑफिस के अपने रूटीन सफर पर था। बगल की सीट पर बैठा कोई 22-23 साल की उम्र का युवक फोन पर किसी को बता रहा था कि वह राजीव चौक के पास वाले हनुमान मंदिर जा रहा है। दिल्ली का...
View Articleसुबह 6 बजे से ही शुरू हो जाती थी हमारी परेड
अक्षय शुक्ला अखबार के एक आर्टिकल में डूबा था कि अचानक फाइटर जेट्स की तेज़ आवाज़ से आसमान गूंज उठा। दिन के 12 बजे का वक्त था, समझ आ गया कि 26 जनवरी की रिहर्सल शुरू हो गई है। आर्टिकल से हटकर मन अतीत की...
View Articleइस जंग में कुछ भी जायज़ नहीं
अक्षय शुक्ला रूस-यूक्रेन युद्ध को पूरे दो साल होने को हैं। जान-माल के भारी नुकसान के बावजूद इस जंग के खत्म होने के कोई आसार नज़र नहीं आ रहे। बल्कि इस बीच दुनिया के दूसरे कई इलाकों में नई जंग छिड़ गई...
View Articleबड़े धोखे हैं इस राह में
अक्षय शुक्ला सोशल मीडिया की एक पोस्ट ने अचानक ध्यान खींचा। मोहम्मद रफी की आवाज़ में एक गाना सुनाई दिया। ध्यान से सुना तो पता चला कि यह तो हाल में रिलीज़ हुई शाहरुख खान की फिल्म डंकी का गाना है, जिसे...
View Articleये देश है वीर जवानों का
अक्षय शुक्ला जनसंख्या वृद्धि की चुनौतियों पर विचार करने के लिए मोदी सरकार ने एक कमिटी गठित करने का फैसला किया है। लोकसभा में अंतरिम बजट पेश करने के दौरान यह ऐलान किया गया। समिति देखेगी कि आबादी बढ़ने...
View Articleसड़क पर क्यों भटक रहे गोवंश
अक्षय शुक्ला घर की बालकनी में बैठकर अखबार पढ़ते वक्त रोज़ सुबह एक दृश्य दिखाई देता है। सड़क किनारे बैठे गाय के झुंड के पास हर थोड़ी देर में एक कार या दोपहिया आकर रुकता है। हाथ में पॉलिथीन लिए लोग उतरते...
View Articleबच्चों के छोटे हाथों को चांद-सितारे छूने दो
अक्षय शुक्ला स्कूल बसों के आने का समय हो गया था। सोसायटी के गेट पर बने बस स्टॉप पर अभिभावक बच्चों के आने का इंतज़ार कर रहे थे। कुछ महिलाएं आपस में बात कर रही थीं। सनी के पेपर कैसे जा रहे हैं भाभीजी, अब...
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